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हिन्दुस्तान की अपने नागरिकों के नाम चिट्ठी

Kalam mein mei jaan basti hai...bas ise mat todna
Kalam mein mei jaan basti hai...bas ise mat todna
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मैं हिन्दुस्तान तुम्हें पुकार रहा हूँ …
मेरे प्रियजनों,
मैं आपका अपना हिन्दुस्तान, आप मुझे भारत या इंडिया भी कहते हो। आज मैं आपसे अपने दिल का हाल बयाँ करना चाहाता हूँ। मैं दुःखी हूँ, उससे भी ज्यादा असमंजस में हूँ। इतालवी नौसैनिकों को भारत वापस लाने में इटली से हो रहे मेरे खराब रिश्तों की बात हो या पाकितस्तान के प्रधानमंत्री को शिष्टाचार वश जयपुर में दिए गए लंच के कारण मुझे कमजोर आंकने का मामला हो। यदि इन विवादों को छोड़ मैं यहीं के आंतरिक मामलों की ही बात करूँ तो भी मैं बहुत दर्द से गुजर रहा हूँ। यहाँ की सरकार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलकां के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन को लाए प्रस्ताव में तमिल नेता और द्रमुक प्रमुख एम. करूणानिधि की मांग ना मानने पर उनका यूपीए से समर्थन वापसी, कृषि कर्ज माफी घोटाला, हैलीकाॅप्टर खरीद घोटाला, कोल आवंटन में हुए घपले, सोनिया के दामाद वाड्रा को कम दामों में जमीन आवंटन जैसे तमाम आरोपों से धराशायी है। तो मेरी औद्योगिक राजधानी मुंबई सुखाग्रस्त है, इसके बावजूद धार्मिक गुरू द्वारा लाखों लीटर पानी होली समारोह के नाम पर बर्बाद करवाया जाता है, जिसका असर पहले से ही चरमराई अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है। ये सब वे चटपटी खबरें हैं जो मेरे हालात को बखूवी बयाँ करती हैं।
कुछ और भी घटनाँए हैं, जो मुझे कहीं-ना-कहीं से खोखला और विश्व में कमजोर दिखा रहीं हैं। इनमें एशिया की सबसे ‘सुरक्षित’ तिहाड़ जेल में बहुचर्चित दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपी राम सिंह का फाँसी लगाने, दुनिया की सबसे बड़ी परिक्षा ( यूपी बोर्ड परीक्षा ) को नकल विहीन ना बना पाने या जाने-माने बाॅक्सर विजेंद्र पर हेरोइन तस्करी में शामिल होने जैसा गंभीर आरोप लगने का मामला भी शामिल है। संसद की गरिमा भी अब तार-तार हो रही है, यहाँ भी रोज कहीं-ना-कहीं, कोई-ना-कोई विवाद सुनने को जरूर मिल जाता है। मैं पहले ही चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश से घिरा हूँ, अब इन विवादों में घिरने के बाद मैं और कमजोर होता जा रहा हूँ। यह बड़ी विडम्बना है कि मेरी धीमी विकास दर और कमजोर होती अर्थव्यवस्था के बावजूद हमारे राजनेताओं को मेरे हित में करने को कुछ नहीं सूझता। यह मेरे ऊपर बंदूक रख अपना ही स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। जनता के लिए कहा जाता है कि वो सब जानती है पर अब इसमें भी संदेह होने लगा है। अब समय आ गया है कि आप अपने मत का सदुपयोग करें ताकि मेरी और आपकी तरक्की को एक बेहतर विकल्प मिल सके। मैं और भारतीय सैनिकों की बेवजह मृत्यु, जनप्रतिनिधियों द्वारा ही जनता को लूटना, दंबगों का पुलिस वालों को मारना, गरीबों पर अत्याचार नहीं देखना चाहता।
मेरे प्रिय बन्धुओं अब मौका है कुछ करने का। उठो आगे आओ और मेरे निकलते प्राणों की रक्षा को अपने हाथ बढ़ाओ। वरना जैसे पतित पावनी मेरी पहचान बनने वाली गंगा अब गंदगी के लिए बदनाम है, वैसे ही मैं भी हो जाऊँगा। मुझे तुम्हारी जरूरत है। मेरी मदद मैं शामिल हो।
आप सबका प्रिय
हिन्दुस्तान

अभिजीत त्रिवेदी
कानपुर

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