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मुंबई हमले के दोषी हाफिज सईद को गृह मंत्री शिंदे हाफिज साहेब कहें। पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों के सर काटे जाएं और राजस्थान में विदेश मंत्री पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को लंच कराएं। वाह ! क्या गजब सरकार है हमारी। ये राजनीति जो ना कराए वो कम ही है। ये राजनीतिक मजबूरी का ही नतीजा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की निजी यात्रा में हमारे विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद शामिल होते हैं। उन्हें लंच में राजस्थान के लजीज व्यंजन खिलाते हैं। फिर कहते हैं कि वो एक जायरीन की तरह आये थे, मैंने जो किया वो हमारी संस्कृति के अधीन है।
कुछ ऐसा ही दृश्य कारगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री परवेज मुर्शरफ का अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में आगरा आने के दौरान देखा गया था। ये बड़ी विचित्र स्थिति है कि हमारे कट्टर दुश्मन माने जाने वाले पाकिस्तान के लोगों का हम इतने तहे-दिल से स्वागत, सत्कार करते हैं। कोई हाफिज सईद हमारे देश की औद्योगिक राजधानी और देश की जान मुंबई को तहस-नहस करने का प्रयास करता है और पाक में उसे खुलेआम घुमने की आजादी है। ऐसी नापाक हरकतें करने वाले पाक से हम इतना प्यार से क्यों पेश आते हैं ? यह प्रश्न है देश की सरकार से। पूछो इन हुक्मरानों से, क्यों हम दुश्मन के लिए भी अतिथि देवो भवः का मंत्र जप रहे हैं ? कोई हम पर हमले करे, हमारी संस्कृति का फायदा उठाए और हम उसे सम्मान दें। ये कहाँ का नियम है !
पाकिस्तान ही क्या, भारत में पल रहे लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन तक को तो हमारे देश में रहने की स्वतंत्रता है। हमारी सुरक्षा एजेंसीज् को अगर यह पता चल भी जाए कि देश में कुछ असामान्य हरकत होने वालीं हैं, तब भी वो हाई अर्लट जारी करने में घंटों निकाल देती है। कभी-कभी तो ये अर्लट करती ही नहीं हैं, जिसके फलस्वरूप 26/11 , हैदराबाद बम ब्लास्ट जैसी दहला देनी वाली घटनाएं सामने आती हैं। इस वक्त सुरक्षा स्थितियों को लेकर जो हालात देश में हैं, वो असंतुलन की स्थिति पैदा करते हैं। ऐसे में देश को एक सशक्त शासक की आवश्यकता है। तो शायद जल्द ही होने वाले आमचुनावों में जनता अपने लिए उपयुक्त शासक का चयन कर ही लेगी।
अभिजीत त्रिवेदी
कानपुर
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