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आज मन उदास है। पता नहीं मैं जिस वजह से उदास हूँ वो सही है भी या नहीं,पर आज मैं अपने भगवान से नाराज हूँ।जब मैंने चाहा की वो मेरा साथ दे तब ही वो मेरा साथ छोड़ देता और किसी और के साथ चल पड़ता। फिर मैंने सोचा उसे भी पूरा हक है किसी और का साथ देने का फिर सोचा जब मैं अपने भगवान के प्रति इतना ईमानदार रहता हूँ तो वो मुझे मेरे जरुरत के वक्त में ही क्यूँ अकेला छोड़ देता है। क्या उसे नहीं पता की मुझे उस समय उसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी जिस समय वो मेरा साथ छोड़ आगे बढ़ दिया। वो फिर मेरा साथ देने वापस भी आता है पर तब क्या फायदा,जब जरुरत थी तब तो वो मेरे साथ था ही नहीं। जब उससे इस बारे में पूछा तो वो कह देता है कि मैं तुम्हें छोड़ के कहाँ गया था,मैं तो बस तुम्हारे अंदर की ताकत को देखना चहाता था तो बस दूर खड़ा देख रहा था कि तुम परेशानी के वक्त कितने दृढ़संकल्प के साथ खड़े रहते हो और मेरे बिना ही परेशानी से बाहर आ जाते हो।देखो मैं तो तुम्हारे ही साथ था बस तुम्हारी आँखो से ओछल पर तुम्हारे मन के अंदर।
फिर भी मन उदास है,उसकी ये दलीलें काफी नहीं हैं मुझे समझाने के लिए।पर मैं कर भी क्या सकता हूँ आखिरकार अपने भगवान से इतना प्यार जो करता हूँ।मैं तो उसे छोड़ भी नहीं सकता। पर मन में एक बात हमेशा चुभती है कि जब भी वो मेरे साथ होता है और उस वक्त अगर कोई दूसरा उसे याद करता है तो वो मुझे अकेला छोड़ तुरंत दूसरे की मदद को चल देता है।क्या वो ये सोचता है कि मैं तो उसका अपना ही हूँ,मेरे पास ही तो रहना है उसे पर दूसरे को उसकी जरुरत है तो उसकी मदद कर दी जाए। या वो मुझे अपना मानता ही नहीं वो मेरे साथ सिर्फ इसलिए है क्योंकि मैं अपने निस्वार्थ प्रेम से उसे बांधें हुए हूँ तो वो मजबूरी में मेरे साथ रहता है। काश इस सवाल का जबाब मिल जाए। मेरे अंदर तो इतनी हिम्मत भी नहीं है जो मैं अपने भगवान से यह प्रश्न पूँछ सकूँ।
क्या मेरे भगवान का मेरे मुश्किल समय में मेरे साथ न रहने से ज्यादा मेरा मन इसलिए उदास है कि वो मुझे अपना मानता भी है या नहीं इसका जबाब मेरे पास नहीं है। अगर मैंने हिम्मत जुटा के उससे ये प्रश्न कर भी लिया और उसने कहीं ये कह दिया कि तुम्हें मेरे ऊपर जब विश्वास ही नहीं है तो तुम मुझसे निस्वार्थ प्रेम कैसे कर सकते हो,इसमें तो तुम सिर्फ अपना स्वार्थ ही देख रहे हो और मुझे छोड़ कर चल दिया तो ? मैं तो खो दूगाँ ना अपने भगवान को तब क्या करुँगा मैं ? शायद तब तो मेरा मन आज से भी ज्यादा उदास रहने लगेगा।
लेकिन मेरे भगवान ने आज तक ये भी तो नहीं कहा कि वो भी मुझे प्यार करता है। वो जैसे दूसरों की मदद करता है वैसे ही मेरी भी। बस वो मेरे साथ कुछ ज्यादा समय रहता है तो इसका मतलब मैं ये तो नहीं निकाल सकता की वो सिर्फ मुझे ही प्यार करता है। हे भगवान ! कैसी कसमकश है ये ? काश मेरे इन सवालों के जबाब मिल जाते तो शायद मैं फिर कभी उदास न होता।
अभिजीत त्रिवेदी
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